Mansha Mahadev Vrat Katha In Hindi (मंशा महादेव व्रत कथा) in pdf ebook Download Book Name : मंशा महादेव व्रत कथा / मनसा महादेव व्रत...
Mansha Mahadev Vrat Katha In Hindi (मंशा महादेव व्रत कथा) in pdf ebook Download

Book Name :
| मंशा महादेव व्रत कथा / मनसा महादेव व्रत कथा |
---|---|
Author/Publisher :
| |
Language :
| Hindi |
Pages :
| 24 Pages |
Size :
| 6.4 MB |
Genre :
| devotional, mythology, mythological, shiv, Mahadev, religious |
मंशा महादेव व्रत को करने से भगवान शिव मन की इच्छाओं की पूर्ति करते है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी को यह व्रत प्रारंभ होता है। इस दिन शिव मंदिर पर शिवलिंग का पूजन करें। मंशा महोदव व्रत के लिए भगवान शिव या नंदी बना हुआ तांबा या पीतल का सिक्का बाजार से खरीद लाएं। इसे स्टील की छोटी सी डिब्बी रख लें। मंदिर पर शिवलिंग का पूजन करने से पहले सिक्के का पूजन करें फिर शिवलिंग का पूजन करें और सूत का एक मोटा कच्चा धागा लें। अपनी मन की इच्छा महादेव को कहते हुए इस धागे पर चार गठान लगा दें। विद्वान ब्राह्मण से मंत्रोच्चार के साथ संकल्प छोड़ दें और कथा का श्रवण करें। जिसके बाद भगवान शिव का भोग लगाकर उनकी आरती उतारे। इस तरह कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी तक यह व्रत करें और इस दौरान आने वाले हर सोमवार को शिवलिंग और सिक्के की इसी तरह पूजा करें। व्रत का समापन कार्तिक माह की विनायक चतुर्थी के दिन करें। इस दिन धागे पर लगी हुई ग्रंथियां छोड़ दें और भगवान शिव को पौने एक किलो आटे से बने लड्डुओं का भोग लगायें और लड्डुओं को वितरित कर दें।
मंशा महादेव की व्रत कथा बागड़ी भाषा में है और यह कथा "श्री तम्बावती नगरी हती | राजा कुबेर राज करता हता | एवु नियम हतो के महादेवजी ने मंदिरे जई सेवा पूजा करी बाद भोजन जिमवु | " से शुरु होती है |
चार वर्ष तक करें व्रत, पूजन विधि- भगवान शिव का यह व्रत चार वर्ष का रहता है। हर वर्ष यह व्रत सिर्फ चार महीने ही करना रहता है। इस व्रत को करने से भगवान शिव बड़ी से बड़ी मन की इच्छा की पूर्ति करते है। श्रावण से कार्तिक माह तक के हर सोमवार को शिवलिंग की पूजा करें। सोमवार को शिवलिंग को दूध दही से स्नान करायें। फिर स्वच्छ जल से स्नान करायें। शिवलिंग पर चंदन, अबिर, गुलाल, रोली, चावल चढ़ायें। जिसके बाद बेल पत्र और फूल-माला शिवलिंग पर चढ़ा दें। इसी तरह व्रत की सिक्के की भी पूजा करें। व्रत के पहले दिन धागे पर ग्रंथी लगाई है उसे सिक्के के पास ही रखे। व्रत के समापन के दिन ही धागे की ग्रंथी खोल दें। हर वर्ष भिन्न -भिन्न इच्छाओं को लेकर भी यह व्रत कर सकते हैं।